अलविदा एक सफर का 2022


अलविदा एक थकान का
 अलविदा एक झूठ का
 अलविदा जज्बात का
 सुबह का इन्तजार नही है 
सूरज की गुनगुनाती उमंग भरी किरने 
ठंठ की ठिठुरन हो उमंग भरी 
जीत हो इंसानियत की 
कर्तब्य जो मिले है निष्ठा हो 
मन में लालशा न रहे 
भाई भाई से प्यार करे 
माता -पिता का हर घर में आदर हो 
नारी की सम्मान के लिए मन में आदर हो 
उस सुबह का मै स्वागत करता हूँ 
अलविदा एक सफर का 
नव वर्ष का अभिनन्दन करता हूँ 
 
#लक्ष्मी नारायण लहरे 'साहिल '
31।12।2022