मेले में लाखो करोड़ो रुपये खर्च करने के बाद भी मूलभूत सुविधाओ का हाल बेहाल मेले में कहीं शौचालय के दरवाजे टूटे तो कहीं पर गंदगी का आलम

 मेले में लाखो करोड़ो  रुपये खर्च करने के बाद भी मूलभूत सुविधाओ का हाल बेहाल

मेले में कहीं शौचालय के दरवाजे टूटे तो कहीं पर गंदगी का आलम


राजिम। पूरे मेला क्षेत्र में अवस्थाओं का आलम है। शौचालय मनुष्य की महती जरूरत होती है इस पर विभाग को संवेदनशील होना चाहिए लेकिन पीएचई विभाग ने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर संगम नदी में शौचालय खड़ा तो कर दिए परंतु रखरखाव नहीं होने से स्थिति खतरनाक हो गई है। महोत्सव मंच जाने के नदी मार्ग पर निर्मित शौचालय का हाल बेहाल है। इस जगह के शौचालय में आधे से ज्यादा दरवाजा ही टूटा हुआ है आधे दरवाजा में नीचे का हिस्सा ही आउट हो गया है अब शौच के लिए जैसे ही बैठते हैं पूरा दर्शन हो जाएगा।यह आम जनता के साथ भद्दा मजाक जैसी स्थिति निर्मित कर रही है। कहीं पर दरवाजा टूटा है तो कहीं पर संकल नहीं है तो कहीं पर और कुछ है। प्रतिदिन इनके साफ सफाई नहीं होने से जिंदगी में ही बैठने के लिए मजबूरी हो गई है। जिसके कारण लोग शौच नहीं कर पा रहे थे। गंदगी का ऐसा आलम दिखाई दे रहा था जिसे बयां कर पाना अत्यंत मुश्किल है यही स्थिति पूरे मेला क्षेत्र की बनी हुई है और विभागीय अधिकारी से लेकर जिम्मेदार कर्मचारी नदारद है जिसका ही खामियाजा आम श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है प्रदेश सरकार ने 


भारी भरकम राशि लोगों के मूलभूत सुविधाओं के लिए खर्च कर रहे है पर शासन के अधिकारी कर्मचारी ही जानबूझकर लापरवाही बरत रहे हैं जबकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसलिए छत्तीसगढ़ शासन करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत किया है लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते आम जनता अत्यंत परेशान हैं। मेला क्षेत्र में सरकार की पहली प्राथमिकता पेयजल व्यवस्था एवं शौचालय को दुरुस्त करने की है लेकिन यहां पर शौचालय की अव्यवस्था को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग कितना गंभीर है


*संबंधित विभाग के अधिकारी को जानकारी के लिए फोन किया गया पर फोन की घंटी बजने के बाद भी फोन उठाना उचित नहीं समझा*