अखिल भारतीय साहित्य शोध मंथन संस्थान दिल्ली भारत द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा अलंकरण समारोह 2023 का हुआ आयोजन


0 सम्मानित प्रतिभागियों ने मंच की सराहना की 
लक्ष्मी नारायण लहरे 

जांजगीर । जाजल्वदेव की नगरी जाजंगीर में  अखिल भारतीय साहित्य शोध मंथन संस्थान दिल्ली भारत (पंजीयन संख्या -NDL/692/20 ) द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा अलंकरण समारोह 2023 का आयोजन मयंक होटल सभागार जांजगीर में हुआ।  जाजल्वदेव् की नगरी जांजगीर में  विभिन्न प्रदेशों से पहुँचे शिक्षा, समाज सेवा, साहित्यिक प्रतिभावान, सम्मानित हुए, यह सम्मान विलक्षण प्रतिभा, समाज-सेवा की भावना, साहित्य सृजन,कला संस्कृति, संवर्धन, शिक्षा-प्रदेयों, महनीय शोध कार्य, सुदीर्घ हिंदी सेवा सम्बन्धी, राष्ट्र नवनिर्माण हेतु उल्लेखनीय योगदान के निहित मंचस्थ अतिथियों के गरिमामयी उपस्थिति में प्रदान किया गया। इस भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री बी .पी. साहू प्राचार्य डाइट जांजगीर छत्तीसगढ़, विशिष्ट अतिथि श्रीमती हेमलता शर्मा सहायक परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा जांजगीर एवम अनुभव तिवारी साहित्यकार जांजगीर खोखरा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर आचार्य हीरेन्द्र गौतम  शासकीय शिक्षक एवम हिन्दी प्रशिक्षक रामपुर बाघेलाल मध्यप्रदेश रहे ।
सर्वप्रथम मंच पर वीणापाणि माँ सरस्वती, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित  कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, सुश्री लक्ष्मी करियारे शिक्षिका, लोक गायिका, कवयित्री एवम  सूरज श्रीवास छत्तीसगढ़ी फ़िल्म अभिनेता, गायक द्वारा अतीव मनमोहक एवम कर्णप्रिय स्वर लहरियों के साथ सरस्वती वंदना की गई, राज्यगीत अरपा पैरी के धार के सम्मान में सभी ने  खड़े होकर राज्यगीत को मान दिया, अतिथियों का चंदन तिलक एवं संस्था का बैच लगाकर स्वागत किया गया ।श्रुति एवम तृप्ति जांगड़े द्वारा सभी आमंत्रित प्रतिभागियों को चंदन लगाकर स्वागत अभिनन्दन किया गया, भारतीय संस्कृति में तुलसी का पौधा पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। सभी अतिथियों को तुलसी पौधा भेंट किया गया, स्वागत गीत सुश्री लक्ष्मी करियारे एवम श्री सूरज श्रीवास द्वारा प्रस्तुत किया गया, स्वागत भाषण डॉ. ज्योति कुशवाहा संस्थापक एवम अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य शोध मंथन संस्थान दिल्ली द्वारा दिया गया, क्रमशः अतिथियों के उद्बोधन के बाद उपस्थित सभी प्रतिभावान शिक्षकों, साहित्यकारों, समाजसेवको, शोधार्थियों को उनकी अद्भुत विलक्षण प्रतिभा एवम क्षेत्र विशेष में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इस राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया गया ।बिलासा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित  पुस्तक पर्यावरण संरक्षण : समय की माँग अतिथियों को भेंट की गई, तथा "लक्ष्मीनारायण पयोधि के साहित्य में जनजातीय संवेदना" पुस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक की लेखिका डॉ. ज्योति कुशवाहा  संस्थापक एवम अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य शोध संस्थान दिल्ली भारत हैं,आप बिलासा प्रकाशन छत्तीसगढ़ की प्रकाशक भी हैं। शिक्षक जगजीवन प्रसाद जांगड़े द्वारा लिखित कविता की पांडुलिपि शिक्षा सर्वोपरि है प्रकाशन को प्रकाशन हेतु सौंपी गई एवम स्वरचित काव्य अभिनन्दन पुष्प डॉक्टर ज्योति कुशवाहा जी को भेंट की गई, इस कार्यक्रम में संस्थान द्वारा सभी प्रतिभागियों को आई कार्ड, संस्था बैच, आमंत्रण पत्र, सुव्यवस्थित फ़ाइल के साथ प्रदान किया गया। लगभग 81 प्रतिभागियों को मोमेंटों, प्रशस्ति-पत्र, शॉल देकर सम्मानित किया गया, दो सहभागियों को प्रतीक चिन्ह भेंट से सम्मानित किया गया। सम्पूर्ण भारत वर्ष के विभिन्न राज्यों मध्यप्रदेश, पटना, बिहार, फतेहपुर ,उत्तरप्रदेश, जयपुर राजस्थान, भुसावल महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के कोने-कोने बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, सरगुजा, उत्तर बस्तर,कांकेर, नेगानार बस्तर, कोरिया, चीथवाड़ी, जगदलपुर, गरियाबंद, मोहला मानपुर, कोंडागाँव, कबीरधाम, मौलीगुड़ा, छिंदवाड़ा से चयनित प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति दी। 
वहीं इस पूरे कार्यक्रम के संचालक द्वय श्री जगजीवन प्रसाद जांगड़े शिक्षक शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला धमनी द्वारा  एवं सारंगढ़ की आवाज नाम से ख्यातिलब्ध प्रियंका गोस्वामी, प्रधान पाठक शासकीय प्राथमिक शाला बुटीपारा रहे।श्री लखनलाल चतुर्वेदी कैमरामैन ने पूरे कार्यक्रम के अविस्मरणीय क्षणों को अपने कैमरे के जादू से कैद किया , कार्यक्रम के अंत में सम्मानित अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सभी का आभार प्रदर्शन एवं मुख्य अतिथि की अनुमति से कार्यक्रम समापन की घोषणा डॉ. ज्योति कुशवाहा द्वारा की गयी।
कार्यक्रम की आयोजक डॉ. ज्योति कुशवाहा, नारी शक्ति की प्रतीक और प्रेरक  व्यक्तित्व की धनी, कम उम्र में कामयाबी के शिखर छूने वाली नारी शक्ति को सभी ने इस शानदार और अप्रतिम कार्यक्रम के आयोजन हेतु दिल की गहराइयों से कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित किया एवम उनके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेषित किये। डॉ. ज्योति कुशवाहा जी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की संवेदनशीलता इसी बात से लगाई जा सकती है, कि जगजीवन प्रसाद जांगड़े द्वारा लिखी कविता का वाचन जब मंच संचालक प्रियंका गोस्वामी द्वारा किया गया, कुशवाहा जी की आँखें नम हो गईं, और पूरा सदन कुछ क्षणों के लिए भावनात्मक और संवेदनशील पलों में भाव विभोर हो गया, यह कविता ज्योति कुशवाहा जी के अथक परिश्रम और जीवन संघर्ष की दास्तान पर लिखी गई थी। जिसकी कुछ पँक्तियाँ.....

वो नारी जो चिंगारी सी दहकती हुई,
समाज की तमाम रूढ़िवादी मिथक को तोड़ती हुई,
अपनी मोरपंखी क़लम से लिखा क़रतीं है,
अंधेरे की छाती चीर कर,
आदरणीया ज्योति कुशवाहा जी,
बड़े अदब से जला क़रतीं हैं ।