मां बंजारी की क्षेत्र बीर गांव के अंतर्गत साहू परिवार के द्वारा आयोजित कलि कलुष निकंदिनी श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के अंतर्गत तृतीय दिवसीय प्रवचन माला में आचार्य प्रवर कथा व्यास रामप्रताप शास्त्री जी ने भक्त ध्रुव चरित्र, महाराज भरत के तीन जन्म की कथा जिसमें भक्त अजामिल पर की गई कृपा, वृत्रासुर प्रसंग, नृसिंह भगवान अवतार, भक्त प्रहलाद की कथा और हिरण्यकश्यप वध की कथाओं के प्रसंग सुनाए। पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की गयी। इसके
बाद कथावाचक ने प्रह्लाद चरित्र कथा का रसास्वादन भक्तों को कराया। उन्होंने कहा कि भारत देव भूमि है। यहां किसी भी मानव का जन्म अपना कल्याण कर लेने यानी जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा पाने के लिए होता है। लेकिन, माया के वश में आकर हम सब अपना मूल कार्य को भूल कर संसारिक भोग-विलासादि में फंस जाते हैंऔर अनेक सांसारिक कष्ट हम प्राप्त करते हैं संसार में सहयोग के आनंद के साथ वियोग का दुख भी सहना पड़ता है। कथावाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत में प्रह्लाद व ध्रुव का चरित्र युवाओं को अपनाने के लिए एक अदभूत प्रकरण है। प्रह्लाद जी ने अपने साथियों से कहा कि युवावस्था में ही अपना कल्याण का मार्ग पकड़ लेना चाहिए।
(संकट आने पर भक्त की रक्षा करने आते हैं भगवान ) उन्होंने भक्त ध्रुव और प्रहलाद की कथा के वृतांत सुनाते हुए कहा कि भक्त पर संकट आने पर भगवान भक्त की रक्षा करने के लिए दौड़े चले आते हैं। भक्त के प्रति भगवान का स्नेह अपार होता है और भक्त पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। उन्होंने कहा कि जब भक्त प्रहलाद पर पिता हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित किया गया तो आखिर में भक्त की रक्षा के लिए भगवान ने खंभे से नृसिंह भगवान का अवतार लिया और धरती पर हिरण्यकश्यप के बढ़ते पाप, अत्याचार को मिटाने के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया। कथा के बीच बीच भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए और भावविभोर होकर नाचने लगे।



